मैं क्यों किसके लिए जिन्दा हूँ
खुद अपने वज़ूद पर शर्मिंदा हूँ |
खुदाया तेरी नेमतों का जवाब नहीं ,
मैं तेरे इन्साफ पर फ़िदा हूँ |
तेरी रहमतों की नहीं फिक्र मुझे,
तेरी वादाखिलाफ़ी पर गमज़दा हूँ |
मेरा ज़ब्त तेरे ज़ुल्म से कमतर नहीं ,
देख तेरे बावजूद आज जिंदा हूँ |
____ 'उमि'
27/09/2007
खुद अपने वज़ूद पर शर्मिंदा हूँ |
खुदाया तेरी नेमतों का जवाब नहीं ,
मैं तेरे इन्साफ पर फ़िदा हूँ |
तेरी रहमतों की नहीं फिक्र मुझे,
तेरी वादाखिलाफ़ी पर गमज़दा हूँ |
मेरा ज़ब्त तेरे ज़ुल्म से कमतर नहीं ,
देख तेरे बावजूद आज जिंदा हूँ |
____ 'उमि'
27/09/2007